❷ विशेष शुभ योग:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:22 से 5:04 बजे (पूजा और विधि के लिए उत्तम समय)
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 5:47 से दोपहर 2:23 बजे (शुभ फलदायी योग)
सौभाग्य योग: सुबह से लेकर 10 अगस्त तड़के 2:15 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:17 से 12:53 बजे (विशेषतः अत्यंत शुभ माना जाता है)
विजय/शोभन योग: शोभन योग सुबह-शाम की सीमा में 9-10 अगस्त तक
इन सभी कालखंडों में राखी बाँधने से आध्यात्मिक और पारिवारिक लाभ बढ़ते हैं।
❸ भद्रा और राहुकाल: कौन सा समय अवश्यक :
भद्रा (Bhadra): पर्व के दौरान भद्रा काल सूर्योदय से पूर्व समाप्त हो जाएगा, यानी इस वर्ष राखी के दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा।
राहुकाल (Rahu Kaal): यह समय अशुभ माना जाता है। 9 अगस्त, 2025 को सुबह 9:07 बजे से 10:47 बजे तक राहुकाल रहेगा, इस दौरान राखी बांधने से बचना चाहिए।
❹ राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त :
संपूर्ण शुभ अवधि सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक है—कल्पना कीजिए, पूरे 7 घंटे 37 मिनट तक राखी बाँधने का उत्तम समय मिलेगा।
❺ दिशा का ध्यान (Orientation Matters)
राखी बांधते समय दिशा भी महत्वपूर्ण है:
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बाँधना अशुभ माना जाता है।
बहनें पूर्व दिशा की ओर मुख करके अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधें।
❻ शुभ चौघड़िया मुहूर्त और रीतियाँ
राखी बाँधने के लिए शुभ चौघड़िया समय:
शुभ – उत्तम: सुबह 7:27 से 9:07 बजे तक
लाभ – उन्नति: दोपहर 2:06 से 3:46 बजे तक
अमृत – सर्वोत्तम: 3:46 से 5:26 बजे तक
आगे शाम और रात के भी समय मौजूद हैं यदि दिन के समय न हो सके तो
रीतियाँ जो जुड़ी होती हैं:
पूजा थाली में राखी, रोली, अक्षत, दीपक, मिठाइयाँ आदि रखें।
भाई का तिलक कर, अक्षत लगाकर राखी बांधें।
आरती करें और मिठाई खिलाएं।
तीन गांठ रखना शुभ माना जाता है।
अंत में माता-पिता या गुरु का आशीर्वाद लेकर नकद या उपहार दें।
❼ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
राखी बाँधना सिर्फ एक रस्म नहीं—यह भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक है। इसे कई घरों में अब “महिला सुरक्षा” और “भावनात्मक रक्षा” की आधुनिक दृष्टी से भी मनाया जाता है।
❽समापन विचार –
इस बार रक्षाबंधन 2025 पर राखी बाँधने का समय संपूर्ण दिन पवित्र और शुभ रहेगा। सुबह 4:22 से ब्रह्म मुहूर्त शुरू होकर दिन-भर सर्वार्थ सिद्धि और अभिजीत मुहूर्त जैसे योग प्रभावी हैं। सुबह 5:47 से दोपहर 1:24 बजे तक विशेष रूप से शुभ माना गया है। राहुकाल (9:07–10:47 बजे) को बचाते हुए, पूर्व दिशा की ओर मुख करके, पूरे प्रेम और श्रद्धा के साथ राखी बाँधकर यह बंधन और भी पवित्र बनाइए।
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